नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो आम लोगों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा कर सकें। काल्पनिक बहादुरी से देश का नेतृत्व नहीं किया जा सकता। वर्ष 2005-06 के बाद के दशक में 27 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं।
एआईएमए मैनेजिंग इंडिया अवॉर्ड्स प्रदान करने के दौरान संबोधित करते हुएपूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश से गरीबी समाप्त करने के लिए काफी कार्य किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि भारत के महज 1 प्रतिशत लोगों के पास देश की 60 प्रतिशत संपत्ति है, इस कारण स्थिति और खराब हो जाती है। यह आंकड़े बताते हैं कि हमारी ग्रोथ को और ज्यादा समावेशी बनाने की जरूरत है। वर्ष 2005-06 के बाद के दशक में 27 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं। देश में गरीबी की दर पिछली अवधि में करीब आधी हो गई है। यह सकारात्मक पक्ष है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना है कि अब भी 26.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। यह सभी के लिए चिंता की बात है।जो लोग केवल फायदे के लिए धन कमाते हैंळ उन्हीं के कारण असमानता पैदा होती है। उद्योगपतियों और नीति निर्माता केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि रोजगार सृजन और बड़ी संख्या में लोगों के लिए मौके मुहैया कराने के लिए भी आगे आएं। अभी भी देश के हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करने की जरूरत है।