देहरादून। मैदानी इलाकों में बढ़ रही गर्मी का असर यह हो रहा है कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों से लोग ठंडक पाने के लिए उत्तराखंड की ओर कूच कर रहे हैं। चारधाम यात्रा के यात्रियों को इस कारण अच्छी-खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। देवदर्शन में ट्रैफिक जाम राक्षस बन रहा है।
हरिद्वार के बाद से ही ट्रैफिक जाम की स्थितियां बन रही हैं। ऋषिकेष से आगे की ओर जाने वाले मार्ग पर सामान्य चारधाम यात्रा के दौरान ही काफी जाम की स्थिति रहती है क्योंकि यहां पर वाटर स्पोर्ट्स के देशी-विदेशी सैलानियों की भीड़ लगी रहती है। गाड़ियों की ऊपर बड़ी-बड़ी वाटर बोट लेकर यहां पर स्थानीय लोग घूमते रहते हैं जिसके कारण भी जाम लगता है। अगर इस जाम से मुक्ति मिले और आगे अगर आप बद्रीनाथ जा रहे हैं तब जैसे-तैसे जोशीमठ तक पहुंचने के बाद जोशीमठ को पार करना मुश्किल हो जाता है। जोशीमठ से बद्रीनाथ जाने के लिए मार्ग काफी संकरा है और शहरी क्षेत्र से गुजरना काफी मुश्किल हो जाता है।
पुलिस भी नाकाम
ट्रैफिक पुलिस भी संपूर्ण मार्ग पर तो नहीं रह सकती परंतु जहां पर भी शहरी क्षेत्र है वहां पर भी पुलिस काम नहीं कर पा रही है। हालात यह है कि सुबह से शाम हो रही है। ट्रैफिक जाम में फंसें लोगों को एक ही जगह पर पंद्रह-पद्रह घंटे कार में बैठे रहना पड़ रहा है। ऐसे में उन लोगों की हालत खराब हो रही है जो चारधाम पर अपने साथ वृद्धजनों को ले गए हैं। कई जगहों पर पीने के पानी से लेकर खाने-पीने के सामान की दिक्कतें भी सामने आ रही हैं।
सरकार को तत्काल यात्रियों की संख्या पर रोक लगाना चाहिए
ट्रैफिक जाम के मुद्दे पर स्थानीय लोगों का भी कहना है कि यात्रियों की संख्या बढ़ने से आमदानी तो बढ़ती है पर यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ने से ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती है और मुश्किलें यात्रियों को होती हैं। अगर सरकार यात्रियों की संख्या पर थोड़ा भी नियंत्रण लगाए तो सभी को आसानी से सुविधा मिल सकती है।
बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन होता है
चारधाम यात्रा के लिए बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन होता है परंतु वह भी चारों धामों के आने के कुछ पहले जबकि यह काम हरिद्वार में ही हो जाना चाहिए। कई बार बिना रजिस्ट्रेशन के भी यात्री निकल जाते हैं। उत्तराखंड पुलिस पूर्ण रुप से इस बार नाकाम रही है। अगर ट्रैफिक जाम की ऐसी ही स्थिति रही तो संकरे रास्तों के कारण एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में दुर्घटनाओं की संभावना काफी बढ़ जाती है।