केनोझार (ओडिशा)। पद्मश्री से सम्मानित अर्थात समाज में ऊंचा स्थान और हर जगह सम्मान लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि पद्मश्री से सम्मानित व्यक्ति पैसे-पैसे को मोहताज हो जाए। ओडिशा में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। पद्मश्री से सम्मानित दैतारी नायक और उनके परिवार को चीटियों के अंडे खाकर अपना पेट भरना पड़ रहा है क्योंकि न तो उनके पास पैसे हैं और न ही कमाई का कोई साधन।
दैतारी नायक नाम से शायद आप याद नहीं कर पा रहे होंगे कि यह शख्स कौन है? दैतारी माउंटेन मांझी और कैनाल मेन के नाम से प्रसिद्ध हैं। उन पर फिल्म भी बन चुकी है। 70 वर्ष की आयु में उन्होंने पहाड़ को कई किलोमीटर चीर कर सिंचाई के लिए नहर बना दी थी। उन्हें इसी वर्ष राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। वे ओडिाशा के केनोझार जिले के बैतरनी गांव में रहते हैं। वर्ष 2019 में उन्होंने गोनासिता पहाड़ों को चीर कर कई किलोमीटर लंबी नहर बना दी थी। उनके इस कार्य के लिए सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। दैतारी अब हताश और निराश नजर आते हैं। वे तेंदुपत्ते और आम के पापड़ बेच कर किसी तरह खुद का और परिवार का पेट पाल रहे हैं। उनका कहना है कि पहले दिहाड़ी मजदूर के रूप में उन्हें काम मिल जाता था लेकिन अब कोई काम नहीं मिल रहा है। लोग सोचते हैं कि यह काम मेरे लायक नहीं है क्योेंकि मैं पद्मश्री से सम्मानित हूं। पैसों को मोहताज हो चुके परिवार को कई बार चीटियों के अंडे खाकर भूख मिटानी पड़ रही है। सरकार की ओर से 700 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती है इससे परिवार का खर्च नहीं चल पाता। इंदिरा आवास योजना के तहत उन्हें मकान आवंटित हुआ है लेकिन वह अधूरा ही पड़ा है और दैतारी परिवार अब भी कच्चे घर में रह रहा है।