(अनुराग तागड़े)
इंदौर। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सीटों के परिसीमन नए सिरे से हो रहा है और अनुच्छेद 370 के हटने के बाद लगातार भारतीय एजेंसियों द्वारा इस क्षेत्र के विकास से लेकर,यहां पर भविष्य कैसा होगा इस पर विचार मंथन किया जा रहा है। देश की बड़ी कंपनियां अब इस बात की योजनाएं बना चुकी हैं कि अगले कुछ महीनों में किस तरह से वे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में काम करेंगी।
दरअसल भारत ने सोची-समझी रणनीति के तहत अनुच्छेद 370 को हटाया है और इसे हटाने के पहले इन बातों पर भी विचार हो चुका है कि इसके क्या परिणाम होंगे। चीन और अमेरिका भी जानते हैं कि भारत आज की तारीख में दुनिया की महाशक्ति बनने जा रहा है और यह सब कुछ आर्थिक स्तर पर भी होते नजर आ रहा है। यह बात अलग है कि वर्तमान में अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के चलते दुनियाभर के आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं है। बावजूद इसके भारत सामरिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर विकास कर रहा है और निर्णय लिए जा रहे हैं तेजी से देश के लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक छवि और बड़े राजनेताओं के साथ उनकी दोस्ती का ही परिणाम है कि कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान दुनियाभर में अलग-थलग पड़ चुका है।
क्या कर सकता है पाकिस्तान
भारत ने जिस प्रकार से निर्णय लिया है उसकी कल्पना पाकिस्तान को नहीं थी। लिहाजा पाकिस्तान ने आनन-फानन में वैश्विक रुप से यह बात फैलाई कि भारत ने जो किया है वह गलत किया है। पहले से ही भारत के विरोध से डरे अमेरिका ने यह कह डाला कि दोनों मिलकर बात करें और एलओसी पर किसी भी प्रकार के भड़काने वाले काम पाकिस्तान ना करे। चीन ने भी पाक को ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
अब पाकिस्तान के हुक्मरानों के समक्ष संसद में बहस करने, भारत से व्यापार बंद करने और ट्रेनें रोकने के अलावा कुछ भी नहीं बचा। अब करें तो क्या करें... तब इमरान खान के सलाहकारों ने यह सलाह दी कि हमें अपनी सेना को आगे बढ़ाना चाहिए। पाक ने एलओसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा और आतंकियों का जमावड़ा करना आरंभ कर दिया है। खुद इमरान खान के राजनीतिक भविष्य के लिए यह जरुरी था।
अब जैसे ही परिसीमन होगा उसके बाद फिर विवाद की स्थितियां बनेंगी और यह एक बार में ही हो जाए इस कारण सरकार लगातार कश्मीर मुद्दे पर काम कर रही हैस परीसीमन करके चुनावों की तारीख भी घोषित की जा सकती है।
पाक अपनी जनता को बरगलाने के लिए युद्ध का राग आलापेगा
सेना के दबाव में इमरान खान को युद्ध का उन्माद फैलाना पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तान में नवाज शरीफ की पार्टी इमरान खान का लगातार विरोध कर रही है और इमरान खान ने नवाज की बेटी को भी गिरफ्तार किया हुआ है। अपनी जनता के सामने और संसद में क्या जवाब देंगे पाक प्रधानमंत्री इसका एक ही जवाब है युद्ध जैसा माहौल बनाना ताकि पाक की जनता का ध्यान महंगाई जैसे मुद्दे से हट जाए और युद्ध की आड़ में पाकिस्तान मुस्लिम देशों के संगठन से पैसों की मांग भी कर सकता है। अगर युद्ध हो गया तब पाकिस्तान का टूटना तय है यह बात भी इमरान खान जानते हैं इस कारण युद्ध का उन्माद फैलाना ही उनके लिए आखरी विकल्प है।