भाजपा को भारी पड़ी दो विधायकों की गलती

नई दिल्ली। गुजरात में राज्यसभा चुनाव में हाई वोल्टेज ड्रामा मंगलवार देर रात तक चलता रहा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर ऐसी बिसात बिछाई थी कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल किसी भी हालत में राज्यसभा का चुनाव जीत न पाएं लेकिन अंतिम समय पर बाजी पलट गई। पटेल ने भाजपा की सभी चालों को मात देते हुए जीत हासिल कर ली। कुल तीन सीटों के लिए चुनाव हुए थे। इनमें से दो पर अमित शाह और स्मृति ईरानी विजयी हुईं लेकिन पटेल की जीत ने भाजपा की जीत की चमक फीकी कर दी। बागी शंकर सिंह वाघेला खेमे ने चुनाव में क्रॉस वोटिंग की। मंगलवार सुबह हुई वोटिंग के बाद गिनती देर रात शुरू हो पाई। शाह और स्मृति की जीत तो तय थी लेकिन असल मुकाबला अहमद पटेल और कांग्रेस से बागी होकर भाजपा खेमे से चुनाव लड़ रहे बलवंतसिंह राजपूत के बीच था। इस सीट के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। मतगणना के ठीक पहले दो कांग्रेस विधायकों राघवजी पटेल और भोला भाई गोहिल के वोट रद्द होने से पूरा दृश्य ही बदल गया। ऐसा करते ही राज्यसभा पहुंचने के लिए वोटरों का आंकड़ा 45 से घट कर 44 रह गया। पटेल को 44 ही वोट मिले और वे जीतने में कामयाब रहे। क्रॉस वोटिंग करने वाले उक्त दोनों विधायकों ने यह याद नहीं रखा कि वोट देते समय भी वे कांग्रेस के सदस्य ही थे। मतदान केंद्र पर खड़े होकर वे अपने वोट का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं कर सकते। उन्होंने भाजपा को वोट दिया था। वोट को सार्वजनिक करने की गलती की कीमत भाजपा और वाघेला को अहमद पटेल की जीत के तौर पर चुकानी पड़ी। चुनाव में कुल 176 विधायकों ने वोट डाला। इनमें कांग्रेस के 51 विधायक शामिल थे। कांग्रेस के पास इससे पहले 57 विधायक थे लेकिन उनमें से 6 ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। वाघेला और इन 6 विधायकों ने भाजपा के बलवंतसिंह राजपूत को वोट दिया। अहमद पटेल की जीत बड़ी भूमिका सहयोगी दलों ने भी निभाई। एनसीपी के जयंत पटेल और जेडीयू के छोटू वसावा ने उन्हें वोट दिया। हालांकि दूसरे एनसीपी विधायक कांधल जाडेजा ने भाजपा को वोट दिया। दूसरी वरीयता वाली वोटिंग में फंस जाता पेंच अगर पटेल को 44 वोट नहीं मिलते तो मतदान दूसरी वरीयता के वोटिंग वाले राउंड में चला जाता। अगर ऐसा होता तो वे जीत नहीं पाते क्योंकि दूसरी वरीयता के राउंड में भाजपा का पलड़ा भारी था। कांग्रेस ने उम्मीद जताई थी कि पार्टी के 43 विधायक और एनसीपी विधायकों में से एक जयंत पटेल उन्हें वोट देंगे। कांग्रेस को भाजपा के बागी नितिन भाई कठोदिया और जेडीयू विधायक छोटू भाई वासवा ने भी वोट दिए। इस तरह पटेल पांचवी बार राज्यसभा में पहुंचने में सफल रहे।