30 बच्चों की मौत के मामले में आॅक्सीजन सप्लाय करने वाली कंपनी को दोषी बताया

गोरखपुर। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में कलेक्टर की जांच रिपोर्ट शासन को मिल गई है। 10 और 11 अगस्त को अस्पताल में 30 बच्चों की मौत हो गई थी। 10 अगस्त को आॅक्सीजन की सप्लाय बाधित हुई थी। सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में मौतों का सही कारण नहीं बताया गया है। रिपोर्ट में पुष्पा सेल्स कंपनी को लिक्विड आॅक्सीजन की सप्लाय रोकने का जिम्मेदार ठहराया है। उल्लेखनीय है कि इस कंपनी को अस्पताल प्रशासन द्वारा लंबे समय से बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा था। कंपनी द्वारा कई बार पत्र भेज कर भुगतान का आग्रह किया गया था लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। भुगतान रोकने के बारे में जांच रिपोर्ट में कुछ नहीं कहा गया है। तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. आरके मिश्रा और एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. सतीश कुमार की 10 अगस्त को कॉलेज से अनुपस्थिति पर भी रिपोर्ट में सवाल उठाए गए हैं। डॉ. कुमार पर ही अस्पताल में आॅक्सीजन सप्लाय बनाए रखने की जिम्मेदारी थी। कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में बच्चों की मौतों का कारण नहीं बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉ. कुमार के अलावा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल ने जानबूझकर आॅक्सीजन सिलेंडरों की खरीद का रिकॉर्ड नहीं रखा। डॉ. कुमार ने न तो कभी लॉग बुक चेक की और न ही उस पर हस्ताक्षर किए। आॅक्सीजन सिलेंडर की स्टॉक बुक में कई जगह ओवरराइटिंग है। लखनऊ की हेल्थकेअर कंपनी और आॅक्सीजन सप्लायर पुष्पा सेल्स के मालिक मनीष भंडारी ने बीआरडी अस्पताल में आॅक्सीजन सिलेंडर चोरी रैकेट के सक्रिय होने की आशंका जताई थी। रिपोर्ट में पुष्पा सेल्स को दोषी ठहराते हुए कहा गया है कि कंपनी को आॅक्सीजन सप्लाय नहीं रोकनी थी क्योंकि इससे ही मरीजों के जीवन की रक्षा की जाती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों में सामंजस्य की कमी है।