भाजपा अध्यक्ष का भोपाल दौरा था पर हिचकियां इंदौर में भी लग रही थीं। शहर के कई भाजपाई (बिना किसी पद वाले) पहले ही भोपाल कूच कर गए थे परंतु कई ऐसे भी थे जो शहर में इस खबर पर नजरें गढ़ाए थे। व्हाट्स एप्प पर जरा सी भोपाल की खबर आते ही भिया क्या हुआ पूछने लग जाते थे। अमित शाह के देर रात तक भोपाल नहीं आने पर तरह - तरह के कयास लगाए जाने लगे जो सुबह जाकर ही थमे।
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के.के. फिर नजर आने लगे
कई कांग्रेसी ऐसे होते हैं जो समय के महत्व को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं। इनमें से के.के. यादव ऐसे ही नेता हैं जो बाणगंगा क्षेत्र में कांग्रेस के परचम को लहराते रहते हैं। इस बार वे जागृत हुए हैं पर भाजपा की स्टाईल में। धार्मिक आयोजन के बहाने फिर के.के यादव सक्रिय हो गए हैं। देखना यह है कि आगे आने वाले दिनों में बाणगंगा क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को के.के. कितना प्रभावित कर पाएंगे।
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सवालों में उलझ गए महापौर
ग्वालियर में महापौर विवेक शेजवलकर अक्सर अपनी ही पार्टी के पार्षदों के गुस्से का सामना करते हुए उलझते नजर आते रहते हैं लेकिन इस बार वे स्कूली छात्राओं द्वारा किए गए सवालों के जवाब देते समय उलझ गए। सिंधिया विद्यालय की छात्राओं की टीम नगर निगम का कामकाज समझने के लिए निगम मुख्यालय पहुंची थी। महापौर ने निगम परिषद की कार्यप्रणाली विस्तार से समझाई। इसके बाद शुरू हुआ सवालों का दौर। जवाब महापौर ने ही दिए। छात्राओं ने पूछ लिया कि ग्वालियर को स्मार्ट सिटी बनाने की बात की जा रही है लेकिन न तो यहां लोक परिवहन बेहतर स्थिति में है और न ही सफाई व्यवस्था ठीक है। अब भला महापौर क्या कहते, उन्होंने नपे-तुले शब्दों में स्वीकार किया कि शहर में लोक परिवहन सिस्टम अच्छा नहीं है। सफाई के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि व्यवस्थाएं जल्द ही सुधार ली जाएंगी।
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नर्मदा का उपयोग शराब परिवहन में
यूं तो सरकार ने नर्मदा नदी के पांच किलोमीटर के दायरे में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन यह ध्यान नहीं रखा कि इसका पालन कौन कराएगा? जिसे जहां, जैसी सुविधा मिल रही है वह शराब का धंधा कर रहा है। कई लोग नर्मदा से नावों के जरिए शराब विभिन्न स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। मामला कमाई का है इसलिए कई लोग इस धंधे में लगे हुए हैं। प्रतिबंध लगने के बाद अवैध कमाई और बढ़ गई है। ताजा मामला कहां का है यह भी सुन लीजिए। होशंगाबाद के बुदनी में पुलिस ने नाव से लाई जा रही हजारों रुपए की अंग्रेजी और देशी शराब बरामद की। यह शराब भी थाने की पुलिस ने नहीं बल्कि निर्भया टीम (महिलाओं की सुरक्षा के लिए तैनात महिला पुलिसकर्मियों की टीम) ने जब्त की। पुलिस को देख कर नाव में मौजूद दोनों युवक नर्मदा में कूद कर तैरते हुए दूसरे किनारे से निकल भागे। पुलिस ने नाव और शराब जब्त कर ली। अब आप याद कीजिए कि बुदनी का नाम आप अक्सर क्यों सुनते रहते हैं?
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तिरंगा यात्रा या धक्का-मुक्की यात्रा...
कांग्रेस का कोई नेता आए या कोई छोटा कार्यक्रम ही क्यों न हो धक्का-मुक्की और अव्यवस्था हो ही जाती है। मासूम नेता और कार्यकर्ता समझ ही नहीं पाते हैं कि ऐसा क्यों होता है। अब देवास का ही उदाहरण लीजिए। स्वतंत्रता दिवस समारोह के एक दिन पहले कांग्रेस ने तिरंगा मार्च निकाला, जिसका नेतृत्व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सज्जनसिंह वर्मा और प्रदेश महामंत्री मनोज राजानी ने किया। यात्रा के दौरान धक्का-मुक्की होती रही। इसी बीच मार्च में शामिल एक जीप में इतनी अधिक संख्या में नेता चढ़ते चले गए कि दो नेता तो चलती जीप से नीचे आ गिरे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। गिर कर फिर उठे और चलती जीप में फिर जा चढ़ गए। जीप में हालात यह थे कि खड़े रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा था।
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कमलेश के नाम पर बरकरार कलह
कांग्रेस के बागी नेता कमलेश खंडेलवाल के नाम पर कांग्रेस के साथ भाजपा में भी कलह मची हुई है। कारण कि जहां एक ओर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 में लगातार खंडेलवाल ने धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन करा कर कांग्रेसियों के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी है वहीं दूसरी ओर भाजपा विधायक सुदर्शन गुप्ता भी उनके कार्यों से परेशान हो रहे हैं क्योंकि क्षेत्र में खंडेलवाल का वजन बढ़ता जा रहा है। सावन माह में खंडेलवाल के भाई के खिलाफ भाजपाईयों के दबाव में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज जरुर हुआ था। उससे भाजपाईयों को लगा था कि अब वे कलह नहीं करा पाएंगे लेकिन उनके मंसूबों पर तो अब भी खंडेलवाल ने पानी ही फेर रखा है। इसलिए तो अब वे महिला कावड़ यात्रा, मटकी फोड़ के बाद 21 हजार महिलाओं की रंगोली प्रतियोगिता आयोजित करने की तैयारी में जुट गए हैं।
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बुजुर्ग होने की सजा
कलेक्टोरेट में इन दिनों मल्हारगंज एसडीएम के एक रीडर को बुजुर्ग होने की सजा मिल रही है। एसडीएम के दो रीडर होने के बाद भी एक वरिष्ठ रीडर राधेश्याम राठौर को बार-बार प्रथम तल से द्वितीय तल के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। खास बात यह है कि दूसरे रीडर महोदय नौजवान हैं लेकिन अधिकारियों से अच्छा साझा होने का उन्हें फायदा मिल रहा है। स्थिति यह बन गई है कि हर दिन काम के समय बुजुर्ग रीडर को 40 से 50 मर्तबा प्रथम से द्वितीय तल के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। इस वजह से उनके दोनों घुटनों में भी समस्या आ गई है। फिर भी समस्या का निदान करने के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है। अब नौकरी करना मजबूरी है, इसी कारण राठौर अब राधे-राधे कर एक साल का बचा हुआ समय काटने में लगे हुए हैं।
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सबूत हाजिर हैं जनाब...
शासन ने रेत खनन पर रोक लगा दी है। बड़े ही जोर-शोर से इसका प्रचार भी किया जा रहा है मानों बहुत बड़ी उपलब्धि हो लेकिन खनन रुका कहां है? यदि शासन इस बात को नहीं माने तो सबूत भी हाजिर हैं। रायसेन के बाड़ी गांव के लोगों ने मीडिया को बताया कि नर्मदा दोनों किनारों की ओर पंद्रह किलोमीटर तक के गांवों में रेत का भारी स्टॉक किया जा रहा है। यह सब शाम ढलने के बाद और सुबह सूरज ऊगने के पहले किया जाता है। आसपास के गांवों में लगे रेत के ढेर भी मीडिया को दिखाए गए। प्रत्येक ढेर में औसतन बीस से तीस डम्पर रेत मौैजूद हैं। एक गांव में नहीं बल्कि दर्जनों गांवों में रेत माफिया ने भारी स्टॉक कर रखा है। मीडिया ने जब जिला खनिज अधिकारी धनराज काटोरकर से पूछा तो उन्होंने मासूमियत भरा सरकारी जवाब दिया आप भी पढ़ लीजिए... यदि अवैध रूप से रेत खनन और भंडारण हो रहा है तो हम जांच कराएंगे। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। सख्त कार्रवाई की जाएगी।... इस तरह हो रहा है आदेश का पालन। इस मामले में कांग्रेस कितना भी चिल्ला ले सरकार की चुप्पी टूटने वाली नहीं है।
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एक एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पाई
प्रदेश सरकार के पास धन की कमी है। हाल ही में वित्त मंत्री ने कहा था कि योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार करोड़ों का कर्ज लेगी । सरकारी घाटा और न बढ़ जाए शायद इसी कारण प्रदेश में शराब बंदी नहीं की जा रही है। इतना वित्तीय संकट होने के बावजूद सरकार मन से कितनी अमीर है इसकी जानकारी शायद आपको नहीं होगी। सागर जिले का एक उदाहरण ही काफी है। सिंचाई विभाग ने वर्ष 2012 से 2014 के बीच मुझरी गांव से जगथर तक 25 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण कराया था। विस्फोट कर यहां से पत्थरों को हटा कर नहर निकाली गई थी। काले पत्थरों का भंडारण सात स्थानों पर किया गया था। सिंचाई विभाग का कहना है कि अब तक करीब 13 हजार ट्रॉली पत्थर चोरी हो चुका है जिसकी कीमत करोड़ों रुपए है। इसकी शिकायत कई बार शासन और पुलिस को की जा चुकी है लेकिन पुलिस ने एक भी मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की है।... अब भला बताओ शासन क्या गलत कर रहा है, सरकारी संपत्ति आपकी अपनी है यही इशारा तो कर रहा है। जिन्होंने इशारा समझ लिया वे पत्थर चुरा कर ले जा रहे हैं।
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गरज निकली मेरी और....
कहावत आम है कि गरज निकली मेरी और...। यह कहावत इन दिनों पुलिसकर्मियों पर लागू होती दिख रही है। सिंहस्थ के दौरान बेहतर सेवाएं देने वाले पुलिसकर्मियों का हौसला सीएम शिवराजसिंह चौहान ने खूब बढ़ाया था। उन्होंने कई बार उज्जैन पहुंच कर पुलिसकर्मियों को शाबासी दी थी और कहा था कि अच्छा काम करने पर उन्हें मैडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। लाखों लोगों की भीड़ को पुलिसकर्मियों ने संभाला और दिन-रात मेहनत की। सिंहस्थ निर्विध्न संपन्न हो गया। डेढ़ साल तक वे सम्मान का इंतजार करते रहे। हाल ही में उज्जैन में 2 हजार पुलिसकर्मियों के प्रशस्ति पत्र और मैडल थानों पर भेज दिए गए और कहा गया कि पुलिसकर्मी इसमें से अपने-अपने नाम के प्रशस्ति पत्र और मेडल छांट लें। अब थानों पर छंटाई चल रही है। अन्य जिलों के पुलिसकर्मियों को यह शानदार सम्मान कब तक मिलेगा पता नहीं। निराश पुलिसकर्मियों का कहना है कि कम से कम थाने में ही समारोह आयोजित कर उन्हें सम्मानित कर दिया जाता तो दिल को ठेस तो नहीं लगती। अनुशासन के नाम पर हम मुख्यमंत्री तक तो क्या अपने अधिकारी को भी शिकायत नहीं कर सकते।
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