राजस्थान सरकार का नया कानून- सरकार के आदेश के बिना दर्ज नहीं होगा मुकदमा और नहीं हो सकेगी जांच

जयपुर। राजस्थान सरकार ने अध्यादेश जारी कर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) व भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन किया है। इसके तहत राज्य सरकार की मंजूरी के बिना किसी भी शिकायत पर जांच के आदेश देने और जिसके खिलाफ मामला लम्बित है, उसकी पहचान सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी गई है।
अध्यादेश के अनुसार राज्य सरकार की मंजूरी नहीं मिलने तक जिसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना है, उसकी तस्वीर, नाम, पता और परिवार की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकेगी। इसकी अनदेखी करने पर 2 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत कोर्ट शिकायत पर सीधे जांच का आदेश नहीं दे पाएगी। राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही कोर्ट द्वारा जांच का आदेश दिया जा सकेगा। राज्य सरकार की मंजूरी के बिना लोक सेवकों के खिलाफ पुलिस न कोई मुकदमा दर्ज कर सकेगी, न ही जांच कर सकेगी और न ही मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिया जा सकेगा।
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज पीयूसीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधेकांत सक्सेना और प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने इस अध्यादेश का विरोध करते हुए कहा है कि इससे कोर्ट और मीडिया के अधिकार सीमित हो जाएंगे। पीयूसीएल ने कहा कि इस अध्यादेश को राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि अध्यादेश के अनुसार अब राज्य सरकार की राय, अनुमति के बिना लोक सेवक, जज, मजिस्ट्रेट के विरुद्ध एफआईआर नहीं दर्ज हो सकेगी और न ही लम्बित मामले के बारे में कोई लिख सकेगा। सक्सेना ने आरोप लगाया कि अपने गलत कारनामों पर पर्दा डालने के लिए राजस्थान सरकार संवैधानिक व उच्चतम न्यायलय के घोषित कानूनों के विरुद्ध जाकर इस तरह के संशोधन लाई है।