मुंबई। लोगों को धोखा देने के आरोप में एक बिल्डर को मुंबई हाईकोर्ट ने ऐसी सजा दी है जो अन्य बिल्डरों के लिए भी सबक साबित होगी। कोर्ट ने आरोपी बिल्डर का एक फ्लैट और 58 एकड़ जमीन को नीलाम करने का आदेश देते हुए कहा है कि नीलामी से प्राप्त राशि से संबंधित लोगों के लिए बिल्ंिडग बना कर उन्हें फ्लैट दिए जाएं। इस कार्य के लिए कोर्ट ने कमिश्नर की नियुक्ति की है।
मामला दादर (ईस्ट) का है। 9 वर्ष पूर्व बिल्डर ने एक पुरानी बिल्ंिडग में रहने वाले 21 किराएदारों को हटाकर वहां नई बिल्ंिडग बनाने और उसमें किराएदारों को पुन: स्थान देने का वादा किया था। बिल्डर के वादे पर विश्वास कर किराएदारों ने उससे करार किया और वे दूसरी जगह शिफ्ट हो गए। करार के मुताबिक कुछ महीनों तक बिल्डर ने किराएदारों का किराए का भुगतान किया और फिर अचानक किराया देना बंद कर दिया। इसी बीच उसने खाली हुई पुरानी बिल्ंिडग को ध्वस्त कर दिया।
सुनील सोई नामक किराएदार ने इस मामले में कोर्ट की शरण ली। उसने याचिका में कहा कि बिल्डर शिरीष दीक्षित ने 2008 में उस तीन मंजिला बिल्ंिडग को खरीद लिया जिसमें सुनील सहित 21 किराएदार रहते थे। वह वहां पर मल्टीस्टोरी बनाना चाहता था। वर्ष 2015 में किराएदारों को पता चला कि बिल्डर ने मल्टीस्टोरी बनाने की बजाए जमीन को गिरवी रखकर 10 करोड़ 40 लाख रुपए का ऋण ले लिया है। इसके बाद किराएदारों ने इकॉनमिक आॅफेंस विंग में शिकायत दर्ज कराई।
हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद जारी आदेश में कहा है कि प्रोजेक्ट पूरा करने में आरोपी बिल्डर की दिलचस्पी नहीं रही। वह केवल किराएदारों को धोखा देना चाहता था। कोर्ट ने माटूंगा (ईस्ट) स्थित बिल्डर का एक फ्लैट और महाबलेश्वर के पास स्थित 58 एकड़ जमीन की नीलामी के आदेश देते हुए कमिश्नर की नियुक्ति भी कर दी। नीलामी से मिलने वाली राशि से सभी किराएदारों के लिए बिल्ंिडग बनवा कर देने का निर्देश दिया। कमिश्नर की देखरेख में यह कार्य होगा। कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी बिल्डर भी मौजूद था लेकिन उसने कोई आपत्ति नहीं ली। प्रकरण में लापरवाही बरतने और कोई कार्रवाई नहीं करने पर कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भी फटकारा।