मुंबई। रिश्वतखोरी के एक मामले में कोर्ट ने आरोपी को ऐसी ेसख्त सजा सुनाई है जिसे देख कर अब रिश्वत लेने वालों कई बार सोचना पड़ेगा कि कहीं वे भी इसी तरह फंस न जाएं।
मामला महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की श्रीरामपुर पंचायत से संबंधित है। पंचायत समिति के इंजीनियर अशोक केशवराव मुंडे को एक ठेकेदार से डेढ़ लाख रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। मुंडे ने ठेकेदार को पेमेंट का चेक जारी करने के लिए बिल अमाउंट का 5 प्रतिशत हिस्सा रिश्वत के रूप में मांगा था। ठेकेदार ने एंटी करप्शन ब्यूरो से संपर्क किया। उसके बाद इंजीनियर मुंडे से चर्चा कर तय किया कि रिश्वत की राशि का भुगतान अहमदनगर जिला परिषद के गेस्ट हाउस में किया जाएगा। मुंडे वहां पहुंचा। ठेकेदार ने डेढ़ लाख रुपए की राशि उसे दी और बाहर निकल कर ब्यूरो की टीम को इशारा कर दिया। टीम ने तुरंत मुंंडे को रंगे हाथों गिरफ्तार डेढ़ लाख रुपए बरामद कर लिए। ब्यूरो ने जांच पूरी करने के बाद वष 2016 में कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी थी। मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद गत दिवस अहमदनगर सेशन कोर्ट के जज एसयू बघेल ने मुंडे को पीसीए (प्रिवेंशन आॅफ करप्शन एक्ट) के सेक्शन 13 के तहत 10 साल के सश्रम कारावास और 50 लाख रुपए जुर्माना और सेक्शन 7 के तहत सात साल के सश्रम कारावास और 35 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि नहीं देने पर चार साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। कुल 85 लाख रुपए जुर्माना भरना होगा।