पौड़ी (उत्तराखंड)। थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत गत दिवस उत्तराखंड स्थित पैतृक गांव विरमोली के ग्राम सैंण पहुंचे और परिजनों व गांव के लोगों से मुलाकात की। जनरल रावत सेनाध्यक्ष के अंदाज में नहीं बल्कि बिलकुल गांव के अंदाज में ही वहां पहुंचे। वे पहाड़ पर सीधी चढ़ाई करने के बाद गांव में दाखिल हुए और पैतृक निवास पर पहुंचे।
जनरल रावत का गांव अब तक सड़क मार्ग नहीं जुड़ पाया है। वे लैंसडौन स्थित सेना के कैम्पस में हेलीकॉप्टर से उतरे। वहां से वे पत्नी के साथ कार से विरमोली तक पहुंचे। वहां कार भी छोड़ दी और आगे की यात्रा पैदल ही पूरी की। थल सेनाध्यक्ष बनने के बाद पैृतक गांव की यह उनकी पहली यात्रा थी। उनके कार्यक्रम को गोपनीय रखा गया था। गांव और आसपास के क्षेत्र में सैन्य पुलिस, इंटेलीजेंस, सिविल पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तैनात थे। उनके स्वागत के लिए चाचा के साथ ही पूरे गांव के लोग मौजूद थे। जनरल रावत काफी देर तक गांव में पैदल घूमे। वे लोगों से मिले और उनसे बातचीत की। इस दौरान उनके बचपन की यादें भी ताजा हुईं। लोगों ने पहाड़ों से पलायन, सड़क की समस्या और जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट करने सहित अन्य समस्याओं की जानकारी उन्हें दी।