रायपुर। नक्सल प्रभावित बस्तर के लोग विधानसभा चुनाव में मतदान करना चाहते हैं,लेकिन उनकी यह शर्त है की उनकी उंगली पर स्याही नहीं लगाई जाए। बस्तर के लोगों ने वोटर जागरूकता अभियान के दौरान बीजापुर और सुकमा कलेक्टर को बताया कि वोट डालने के दौरान उंगली पर स्याही लगाई गई तो उसे देखकर नक्सली हमें मार देंगे। हम वोटिंग करना चाहते हैं लेकिन नक्सलियों का डर है।
चुनाव आयोग ने इन अफसरों को चुनाव आयोग इस मामले में गाइड लाइन बनाने और समाधान निकालने को कहा है। इन अफसरों का मन्ना है की यदि स्याही नहीं लगाई जाती है तो बस्तर में मतदान में इजाफा होगा। अफसरों से मिले सुझाव पर चुनाव आयोग विचार कर रहा है। बस्तर की 12 सीटों पर पहले चरण में 12 नवंबर को मतदान होना है। पिछले चुनावों की तरह इस बार भी माओवादी संगठनों ने बस्तर में चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की है। इसके लिए जगह-जगह पोस्टर भी लगा दिए गए हैं।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में मैदानी इलाकों के मुकाबले औसत वोटिंग 2 प्रतिशत कम रहती थी। 2013 के चुनाव से छह महीने पहले झीरम में कांग्रेस नेताओं की हत्या के बाद इन इलाकों में वोटिंग सामान्य से करीब 6 प्रतिशत कम हुई। छत्तीसगढ़ बनने से पहले इन इलाकों में कांग्रेस की पैठ थी। 2003 में यह क्षेत्र भाजपा के गढ़ बन गए, अब फिर से कांग्रेस के पास हैं। यहां कांग्रेस की 9 सीटें बढ़ीं, भाजपा की सीटें आधी रह गईं। सात सीटें ऐसी थीं, जहां पिछले चुनाव में अस्सी प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई। नक्सल प्रभावित छह सीटों पर किसी एक पार्टी को दोबारा नहीं चुना गया।