अहमदाबाद। पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को जामनगर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वर्ष 1990 में पुलिस कस्टडी में एक व्यक्ति की मौत के मामले में करीब 30 साल बाद कोर्ट ने 20 जून को फैसला सुनाया।
यह मामला वर्ष-1990 का है। उस समय भारत बंद के दौरान जामनगर में जमकर हिंसा हुई थी। आईपीएस संजीव भट्ट तब जामनगर के एडिशनल एसपी थे। पुलिस ने हिंसा के आरोप में 133 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें 25 घायल भी शामिल थे। 8 घायलों को उपचार के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। न्यायिक हिरासत में रहने के बाद एक आरोपी प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने भट्ट और उनके सहयोगियों पर पुलिस हिरासत में प्रभुदास से मारपीट का आरोप लगाया था। इस मामले में संजीव भट्ट व अन्य पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था लेकिन गुजरात सरकार ने मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी। वर्ष-2011 में राज्य सरकार ने भट्ट के खिलाफ ट्रायल की अनुमति दी थी। इसी बीच भट्ट को बिना किसी मंजूरी के ड्यूटी से गैरहाजिर रहने व आवंटित सरकारी वाहन के दुरुपयोग के आरोप में राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में निलंबित कर दिया था। विभागीय जांच के बाद वर्ष 2015 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।