े्रलंदन। हाल ही में एक स्डडी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने में राजनीतिक दल और सरकारी एजेंसियां सबसे आगे हैं। इनके द्वारा फर्जी खबरें फैलाने के साथ ही सेंसरशिप का प्रयोग करने, सार्वजनिक संगठनों और मीडिया में लोगों का भरोसा कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। यह स्टडी आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा की गई है। यूनिवर्सिटी ने कहा है कि चुनावों के दौरान सबसे अधिक फर्जी खबरें फैलाई जाती हैं। यह समस्या वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। दुनियाभर में सोशल मीडिया पर लोगों की सोच को तोड़-मरोड़कर पेश करना गंभीर खतरे के रूप में सामने आ रहा है। भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
रिपोर्ट की सह लेखक समांथा ब्रैडशॉ के अनुसार संगठित रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से हेराफेरी करने वाले देशों की संख्या 28 से बढ़कर 48 हो गई है। सबसे अधिक बढ़ोतरी राजनीतिक दलों की तरफ से हो रही है। राजनीतिक दल चुनावों के दौरान गलत सूचनाएं और फर्जी खबरें फैलाते हैं।