कोलकाता। धनतेरस और दिवाली की जबर्दस्त सेल्स के लिए बुलियन और जूलरी के बाजारों में इस साल लकी ड्रॉ, गिफ्ट हैंपर और बंपर डिस्काउंट जैसे आॅफर गायब हैं। कारोबारियों के अनुसार नोटबंदी के बाद से कैश की तंगी है वहीं जीएसटी ने खरीद-बिक्री के पैमाने बदल दिए हैं। ज्यादातर जूलर जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट की शर्तों, कंपोजिट सप्लाई और रिवर्स चार्ज को लेकर परेशान हैं क्योंकि उन्हें सही जानकारी ही नहीं मिल रही है कि टैक्स प्रक्रिया कैसे पूरी करनी है। कई कारोबारियों को यह भय भी है कि अगर सोने के साथ कोई दूसरी वस्तु गिफ्ट में दी तो कहीं टैक्स रेट न बढ़ जाए।
पिछले साल ग्राहकों को लकी ड्रॉ के जरिए लग्जरी कार, आईफोन और एलईडी टीवी आॅफर करने वाली एक जूलरी फर्म के संचालकों का कहना है कि इस साल डिमांड कम है। इस कारण कमाई भी नहीं होने वाली है। जीएसटी ने भी कई चीजें बदली हैं। अगर लाख-डेढ़ लाख रुपए की जूलरी खरीदने वाले किसी लकी ग्राहक को हमें 10 लाख की कार देनी पड़े तो हमें इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा और ऊपर से गाड़ी पर सेस के साथ टैक्स रेट 28 से 40 प्रतिशत होगा।
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