कई लोगो की इच्छाएं रहती है कि वे जवानी में संगीत सीखे परंतु इच्छाएं अपूर्ण रह जाती है और यही कारण है कि ऐसे लोग अब रिटायरमेंट के बाद संगीत सीख रहे है। ...
तेज गति से चलने वाले और अत्याधुनक जीवनशैली वाले इस शहर में पिछले 6 माह में मानसिक समस्याओं से परेशान 35 हजार लोग अस्पतालों में पहुंचे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार काम के दबाव,जीवनशैली में आए परिवर्तन और परिवारों में एक-दूसरे से संवाद कम होने के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है। ...
सानंद दिवाळी प्रभात में यूसीसी आॅडिटोरियम में शर्वरी जेमेनीस ने नृत्य प्रस्तुति के माध्यम में असल कथक क्या होता है और किस तरह से आध्यात्मिक पुट उसमें आया और किस तरह भक्ति और कथक का जुड़ाव है और साथ ही फिल्म और कथक को आपस में गुंथकर एक बेहतरीन कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। ...
मानसिक शांति पाने का सबसे अच्छा तरीका है मेडिटेशन (ध्यान) किया जाए। मेडिटेशन के अलग-अलग तरीकों का सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। व्यक्ति का जैसा स्वभाव होता है अगर उस पर गौर करते हुए मेडिटेशन कराया जाए तो उसकी सोच में परिवर्तन लाया जा सकता है। ...
हार्ट, लिवर, किडनी और फेफड़े शरीर के मुख्य अंग हैं। इनके सुचारु रूप से कार्य करने और स्वस्थ रहने से ही शरीर जानलेवा बीमारियों से बचा रहता है। हार्ट को आॅक्सीजन और पोषक तत्व कोरोनरी धमनियों में बहने वाले रक्त से मिलते है। हृदय प्रति मिनट 60 से 90 बार और दिन में 1 लाख बार धड़क कर 2 हजार गैलन रक्त को पम्प कर पूरे शरीर में पहुंचाता है। फेफड़ों को शरीर के सबसे ज्यादा काम करने वाले अंगों में से एक माना जाता है। लिवर शरीर का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। ...
तनाव, धूम्रपान, शराब, नुकसानदायक आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी और मानसिक व शारीरिक कष्ट जिनकी हम अनदेखी करते रहते हैं, यह सभी सेहत के दुश्मन हैं। इनसे निपटने और स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या में थोड़ा बदलाव करें ...
वैज्ञानिकों ने सफलता और खुशी के लिए सकारात्मक नजरिया, प्रेरणा, आत्मविश्वास के अलावा प्रबंधनीय चुनौतियों की सारणी बनाने को जरूरी बताया है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आॅफ पोर्ट्समाउथ के शोधकर्ता डेनियल ब्राउन के मुताबिक शोध से पहले इसे लेकर सहमति नहीं बनी थी कि क्या चीजें मनुष्य को पूर्ण बनाती हैं। शोध में पाया गया कि जीवन और अपने बारे में अच्छा महसूस करना और किसी चीज में बेहतर होना जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं। ...
यह वर्षों से चली आ रही मानसिकता का परिणाम है कि हम साठ के हुए कि यह मानने लगते हैं कि अब समाज, परिवार से अलगाव का समय आ गया है। क्या यह सही मानसिकता है? जिस परिवार, समाज से हम अटूट बंधन में बंधे थे उससे अलग होने का फैसला हम कर लेते हैं या हम यह मान लेते हैं कि ऐसा करना है। जबकि ऐसा करने के लिए कोई कहता नहीं है। ...