Rashtriya Pioneer Pride: बिना ताल के संगीत सीख रहे हैं एम.ए. के विद्यार्थी बिना ताल के संगीत सीख रहे हैं एम.ए. के विद्यार्थी ================================================================================ prashant on 01/09/2017 10:41:00 संगीत सीख रही लड़कियों द्वारा मुख्यमंत्री हेल्पलाईन पर की गई शिकायत का भी कोई असर नहीं। जीडीसी कॉलेज में संगीत के वाद्य विभाग में तबला संगतकार ही नहीं है, वह भी दो तीन महीने नहीं बल्कि 2 वर्षों से। इसके कारण यहां पर संगीत की पढ़ाई करने वाली लड़कियों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इंदौर। यह विडंबना ही है कि कला संस्कृति के लिए देशभर में अपनी पहचान बनाने वाले इंदौर शहर में उच्च शिक्षा विभाग संगीत को लेकर इतने दिनों से आंखों पर पट्टी बांधे हुए है। शहर के ओल्ड जीडीसी कॉलेज में संगीत के वाद्य विभाग में तबला संगतकार ही नहीं है, वह भी दो तीन महीने नहीं बल्कि 2 वर्षों से। इसके कारण यहां पर संगीत की पढ़ाई करने वाली लड़कियों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। वे मुख्यमंत्री हेल्पलाईन पर इस बारे में शिकायत कर चुकी हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। भारतीय शास्त्रीय संगीत की पढ़ाई करना इतना आसान काम नहीं होता है।  इसमें भी थ्योरी और प्रेक्टिकल दोनों के लिए विद्यार्थियों को काफी मेहनत करना पड़ती है। वाद्य संगीत विभाग हो या फिर नृत्य या गायन विभाग सभी दूर तबला संगतकार की जरुरत होती है जो गायन या वादन के साथ बजाते हैं। ओल्ड जीडीसी में तबला संगतकार नहीं होने से विद्यार्थी केवल वादन सीखते हैं परंतु ताल पक्ष उनका कमजोर रह जाता है क्योंकि बिना ताल के वे जो भी बजाएं वह सही है या नहीं यह पता नहीं चल पाता। प्रेक्टिल एक्जाम में होती हैं दिक्कतें तबला वादक नहीं होने से जब बाहर से परीक्षक प्रेक्टिकल एक्जाम लेने के लिए आते हैं तब आश्चर्य करते हैं कि यह कैसी पढ़ाई हो रही है जिसमें बिना ताल के सब कुछ पढ़ाया जा रहा है। जब यह कहा जाता है कि कॉलेज में तबला वादक ही नहीं है तब प्रेक्टिकल लेने वाले परीक्षक भी माथा कूट लेते हैं। न्यू जीडीसी में तीन तबला संगतकार शहर में जहां एक ओर ओल्ड जीडीसी के वाद्य संगीत विभाग में एक भी तबला संगतकार नहीं है वहीं न्यू जीडीसी में तीन तबला संगतकार हैं। ओल्ड जीडीसी के नृत्य विभाग में जरुर तबला संगतकार है और जब भी वाद्य संगीत विभाग के लोग तबला संगतकार की बात करते हैं तब उन्हें नृत्य विभाग से सहायता लेने की बात कही जाती है जो संभव नहीं है। उच्च शिक्षा विभाग में संगीत के जानकारों की कमी उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत पहले संगीत के जानकार शिक्षकों की कमी नहीं थी। एक से बढ़कर एक कलाकार अपने-अपने विभागों में खूब मेहनत करते थे और बेहतरीन संगीत शिक्षण देते थे। इसके कारण देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को भी युवा उत्सवों में संगीत के क्षेत्र में काफी प्रसिद्धि मिलती थी। अब हालत यह है कि उच्च शिक्षा विभाग संगीत विषय को ही खत्म करने पर तुला है और नई भर्ती तो छोड़ें जो चल रहा है उसमें भी अड़ंगे लगाते हैं। उच्च शिक्षा विभाग की अज्ञानता का पता लगता है इंटरव्यू में संगीत विभाग के इंटरव्यू वैसे तो होने ही बंद हो गए हैं पर जब भी होते थे तब अधिकारी गायन, वादन और नृत्य को एक ही समझते हैं और कई बार गायक कलाकार को डांस आता है कि नहीं ऐसा भी पूछ लिया जाता था और वादक कलाकार को गाने के लिए भी बोला जाता था। प्रश्न यह उठता है कि उच्च शिक्षा विभाग में अगर संगीत विषय को लेकर समझ नहीं है तब विभाग को इसके लिए वरिष्ठ विशेषज्ञों की सेवाएं लेना चाहिए...वर्ना अगले कुछ वर्षों में शहर के इन दोनों शासकीय कॉलेजों से संगीत विषय समाप्त ही हो जाएगा।