Rashtriya Pioneer Pride: भाजपा के वरिष्ठ नेता ने अर्थव्यवस्था पर उठाए सवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता ने अर्थव्यवस्था पर उठाए सवाल ================================================================================ prashant on 27/09/2017 12:21:00 पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि नोटबंदी एक बड़ी आर्थिक आपदा साबित हुई है। ठीक तरीके से जीएसटी को लागू नहीं किया गया और इसने कारोबार में उथल-पुथल मचा दी है। कुछ तो डूब गए और लाखों की तादाद में लोगों की नौकरियां चली गईं। नौकरियों के नए अवसर भी नहीं बन रहे हैं। देश की 40 बड़ी कंपनियां पहले से ही दिवालिया होने की कगार पर हैं। कई और कंपनियां भी दिवालिया हो सकती हैं। एसएमई सेक्टर भी संकट में है। नई दिल्ली। नोटबंदी, जीएसटी जैसे फैसलों के बाद चरमराती अर्थव्यवस्था को लेकर भाजपा के ही वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा। एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित लेख में सिन्हा ने कहा है कि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहे हैं। नोटबंदी एक बड़ी आर्थिक आपदा साबित हुई है। ठीक तरीके से जीएसटी को लागू नहीं किया गया और इसने कारोबार में उथल-पुथल मचा दी है। कुछ तो डूब गए और लाखों की तादाद में लोगों की नौकरियां चली गईं। नौकरियों के नए अवसर भी नहीं बन रहे हैं। यशवंत सिन्हा ने लेख में कहा है कि पीएम दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है। ऐसा लगता है कि उनके वित्त मंत्री अरुण जेटली ओवरटाइम काम कर रहे हैं जिससे वह सभी भारतीयों को गरीबी को काफी नजदीक से दिखा सकें। इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर क्या है? प्राइवेट इन्वेस्टमेंट काफी कम हो गया है, जो दो दशकों में नहीं हुआ। औद्योगिक उत्पादन ध्वस्त हो गया, कृषि संकट में है, निर्माण उद्योग में भी सुस्ती छाई हुई है, जबकि यही सेक्टर सबसे ज्यादा रोजगार देता है। सर्विस सेक्टर की रफ्तार भी मंद है। निर्यात काफी घट गया है। नोटबंदी एक बड़ी आर्थिक आपदा साबित हुई है। मानसून अच्छा नहीं रहा है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ेगी। किसानों को कुछ राज्य सरकारों ने लोन माफी भी दी है, जो कुछ मामलों में एक पैसे से लेकर कुछ रुपए तक है। विकास दर में लगातार गिरावट आ रही है। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले क्वार्टर में विकास दर 5.7 पर आ गई, जो तीन साल में सबसे कम है। सरकार के प्रवक्ता कह रहे हैं कि इस मंदी के लिए नोटबंदी जिम्मेदार नहीं है। वे सही हैं। मंदी काफी पहले से शुरू हो गई थी, नोटबंदी ने तो केवल आग में घी डालने का काम किया है। पीएम चिंतित हैं। विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त मंत्री ने पैकेज देने का वादा किया है। हम सभी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। पीए की आर्थिक सलाहकार परिषद का पुनर्गठन हुआ है। पांच पांडवों की तरह वे हमारे लिए नई महाभारत को जीतने की उम्मीद लगाए हैं। कई कंपनियां दीवालिया हो सकती हैं यशवंत सिन्हा ने कहा है कि देश की 40 बड़ी कंपनियां पहले से ही दिवालिया होने की कगार पर हैं। कई और कंपनियां भी दिवालिया हो सकती हैं। एसएमई सेक्टर भी संकट में है। सरकार ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से उनकी जांच करने को कहा है जिन्होंने बड़े क्लेम किए हैं। कई कंपनियों में खासतौर से एसएमई सेक्टर में कैश फ्लो की समस्या बनी हुई है। जब हम विपक्ष में थे तो रेड राज का हमने विरोध किया था। आज यह सब आॅर्डर आॅफ डे हो गया है। अगले चुनाव तक उम्मीद नहीं सिन्हा ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में समय लगता है पर उसे आसानी से तबाह किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि 90 के दशक और 2000 के समय में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में करीब चार साल का वक्त लगा था। किसी के पास जादू की छड़ी नहीं है, जो वह घुमाए और रातों-रात अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आए। अभी उठाए गए कदमों का परिणाम आने में वक्त लगेगा। अगले लोकसभा चुनाव तक अर्थव्यवस्था में रफ्तार की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सिन्हा ने कहा कि दिखावा और धमकी चुनाव के लिए ठीक है पर वास्तविक हालात में यह सब गायब हो जाता है।