Rashtriya Pioneer Pride: हर मामले में एल.जी. की सहमति की जरूरत नहीं हर मामले में एल.जी. की सहमति की जरूरत नहीं ================================================================================ Dilip Thakur on 04/07/2018 13:41:00 दिल्ली सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नई दिल्ली। दिल्ली में केजरीवाल सरकार और एलजी (उप राज्यपाल) के बीच चल रही अधिकारों की जंग अब थम गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका में दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पक्ष में फैसला दिया है। पांच जजों के बेंच ने सर्वसम्मति से कहा कि असली ताकत मंत्रिपरिषद के पास है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.के. सीकरी, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की संवैधानिक बेंच इस मामले में फैसला सुनाया। तीन जजों ने एक फैसला पढ़ा, जबकि दो जजों चंद्रचूड़ और जस्टिस भूषण ने अपना फैसला अलग से पढ़ा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंत्रिपरिषद के सभी फैसलों से उप-राज्यपाल को अवगत कराया जाना चाहिए लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें उप-राज्यपाल की सहमति आवश्यक है। उप-राज्यपाल को स्वतंत्र अधिकार नहीं सौंपे गए हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एलजी को आपसी तालमेल से काम करने की सलाह भी दी। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि दिल्ली में पुलिस, लॉ एंड आॅर्डर और जमीन के मामले में सभी अधिकार एलजी के पास ही रहेंगे। इन मामलों के अलावा अन्य सभी मामलों में चुनी हुई सरकार कानून बना सकती है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अगस्त 2016 में दिए निर्णय में कहा था कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और संविधान के अनुच्छेद 239-एए के तहत इसके लिए खास प्रावधान किए गए हैं। ऐसे में राजधानी में एलजी एडमिनिस्ट्रेटर की भूमिका में हैं।