Rashtriya Pioneer Pride: आठवीं बेटी को अस्पताल में छोड़ा आठवीं बेटी को अस्पताल में छोड़ा ================================================================================ Dilip Thakur on 31/03/2018 11:24:00 अब भी बेटे की चाह पटना। एक ओर समाज तेजी से प्रगति कर रहा है तथा बेटे व बेटियों में किसी भी प्रकार के भेदभाव को अब मान्य नहीं किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में भेदभाव के उदाहरण अब भी सामने आ रहे हैं। बेटियों की बजाए बेटे की चाह अब भी लोगों में बनी हुई है। ताजा मामला बिहार के सिंहेश्वर क्षेत्र से सामने आया है। सिंहेश्वर के सरकारी अस्पताल में गत दिवस बेटे की चाह में एक महिला ने आठवीं बेटी को जन्म दिया। जजहट सबैला पंचायत क्षेत्र निवासी रिक्शा चालक हीरालाल की पत्नी विभा ने जब आठवीं बेटी को जन्म दिया तो परिवार दु:खी हो गया। बेटी का जन्म होते ही इस दंपति ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि वे इस बेटी को पाल नहीं सकते क्योंकि परिवार में पहले से ही सात बेटियां हैं और उनका पालन-पोषण ठीक से नहीं हो पा रहा है। हमें उम्मीद थी कि इस बार बेटा जन्म लेगा। गरीबी का हवाला देते हुए दंपति ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि उनकी आठवीं बेटी किसी जरूरतमंद दंपति को दे दीजिए। अस्पताल प्रबंधन ने पहले दंपति को समझाइश देते हुए आठवीं बेटी को भी घर ले जाने का आग्रह किया लेकिन जब वे नहीं माने तो अस्पताल ने दत्तक ग्रहण संस्थान को बच्ची सौंप दी।