इंदौर। किसी मकान, दुकान या खजाने की कोई चाबी होती है जिसे ताले में लगाते ही सारा सामान सामने खुला हो जाता है उसी तरह हमारे दोनों हाथों से बजाई गई ताली आजीवन स्वस्थ रहने की मास्टर चाबी है जो प्रत्येक प्रकार के रोगों से मनुष्य को मुक्त रखती है। एक्युप्रेशर के सिद्धांतों के अनुसार शरीर को संचालित करने वाले सारे पॉईंट हाथों और पैर के तलवे में ही होते हैं। यदि इन बिन्दुओं पर सही दबाव डाला जाए तो मनुष्य आजीवन निरोगी रह सकता है।
उक्त विचार उज्जैन के उद्योगपति और आयुष्मान भव: ट्रस्ट के संस्थापक अरुण ऋषि ने मकर संक्रांति के अवसर पर महाराष्ट्र समाज राजेन्द्र नगर द्वारा आयोजित कार्यक्रम एक दवा निराली 15 सेकंडक की ताली में व्यक्त किए। अरुण ऋषि ने कहा कि ताली बजाने से शरीर का तापक्रम बढ़ने लगता है जिसके कारण शरीर में जमा कोलेस्ट्राल पिघलने लगता है। इसी प्रकार अंगूठे के नीचे बने हुए गद्दीनुमा स्थान पर दबाव पड़ने से उसमें मौजूद रक्त की थैलियां रक्त को विपरीत दिशा में संचालित करने लगती हैं जिससे रक्त की धमनियों में कोई रुकावट हो तो वह दूर हो जाती है तथा धमनियों का व्यास भी बढ़ जाता है जिससे हृदय को आराम मिलता है ।
आपने बताया कि ताली वादन से पूरे शरीर में कम्पन्न होता है जिसके कारण शरीर की व्याधियां बाहर हो जाती हैं। शरीर में वात, कफ और पित्त का संतुलन बना रहता है। आपने कहा कि आज के समय में जितनी भी दवाओं की खोज हो रही है वह पैसे कमाने के लिए और पैसे वालों के लिए हो रही है। हमारे देश में आज भी 40 प्रतिशथ से अधिक जनसंख्या गरीब है और इलाज के अभाव में रोगी है। ऐसे हालात में यदि नियमित रुप से सिर्फ 15 सेकेंड ताली बजाई जाए और नहाते समय पैरों के तलवे को अच्छे से रगड़ लिया जाए तो हमें महंगी दवाओं की और डॉक्टर की कभी जरुरत ही नहीं पड़ेगी। आपने लोगों से आग्रह किया कि वे शरीर के लिए 10 हानिकारक वस्तुओं के त्याग का संकल्प लें मुख्यत: चाय, कॉफी, चॉकलेट, टूथपेस्ट, पान, गुटखा और शीतल पेय कोक, पेप्सी आदि का सेवन कभी न करें।
आपने ताली बजाने के तरीकों से भी उपस्थित श्रोताओं को अवगत कराते हुए कहा कि ताली आसन पर खड़े हो कर बजाएं। ताली बजाने के पूर्व हाथों में थोड़ा सा तेल लगा लें अन्यथा ताली बजाने से उत्पन्न सारी उर्जा पृथ्वी में स्थानांतरित हो नष्ट हो जाएगी। ताली बजाते समय आंखें बंद रखें, ताली की आवाज से कान स्वयं ही बंद हो जाते हैं जिससे हम ध्यान की अवस्था में पहुंच जाते हैं और मन को शांति मिलती है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे। अरुण ऋषि ने उनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। अतिथि स्वागत प्रशांत बडवे व जयंत शिराळकर ने किया। संचालन सुनील धर्माधिकारी व आभार प्रदर्शन शुभा देशपांडे ने किया।
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