बेंगलुरु। वजन पर काबू पाने में असफल होने पर हम धीमे मेटाबॉलिज्म को दोष देते हैं। हालांकि यह सच है कि वजन और मेटाबॉलिज्म में संबंध होता है लेकिन मोटापे का कारण केवल मेटाबॉलिज्म नहीं है। हमारी अनियमित दिनचर्या के कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा होता है, जिसके लक्षण मोटापे के रूप में दिखते हैं। सर्दियों में शरीर को ज्यादा गर्मी की जरूरत पड़ती है। भूख तेज लगती है और डाइट बढ़ जाती है लेकिन शरीर की सक्रियता घट जाती है। हमारी दिनचर्या सुस्त होने से मेटाबॉलिज्म की दर धीमी हो जाती है। हम जो भी खाते-पीते हैं, उसे पचाकर ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया मेटाबॉलिज्म है। यह प्रक्रिया ही भोजन को ऊर्जा में बदल देती है। मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया शरीर में 24 घंटे चलती रहती है। जितनी कैलरी की खपत हमारा शरीर नहीं कर पाता, वह फैट के रूप में शरीर के विभिन्न हिस्सों में जमा होने लगती है। मेटाबॉलिज्म अगर ज्यादा या कम होता है तो उसका असर शरीर के वजन पर दिखता है।
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