इंदौर। शहर के जनप्रतिनिधि शासकीय नियमों का मखौल उड़ाते हुए जेंट्रीगेट पर बैनर, पोस्टर्स लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। निगम का अमला दबाव-प्रभाव में कार्य करने पर मजबूर है। तमाम कोशिशों के बावजूद निगम का अमला रोटरी, जेंट्रीगेट, शासकीय दीवारों पर लगे पोस्टर्स, बैनर, होर्डिंग्स निकालने में खुद को अक्षम मानता है। यही कारण है कि कुकुरमुत्तों की भांति पोस्टर्स, बैनरों की बाढ़ आ गई है। जबकि मार्केट विभाग को बकायदा इन होर्डिंग्स, बैनर,पोस्टर्स आदि के लिए नियमानुसार अनुमति प्रदान करना चाहिए। इससे निगम के खजाने में वृद्धि होगी। प्राय: देखा गया है कि मार्केट विभाग व रिमूव्हल विभाग यदाकदा कार्रवाई तो करता है, मगर वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान होती है। जहां अमला कार्रवाई करने जाता है, वहां भेदभावपूर्ण कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है। कई बार तो पोस्टर निकलने के दूसरे दिन ही उसी स्थान पर लगकर निगम की कार्रवाई को मुंह चिढ़ाता है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि जेंट्रीगेट को पोस्टर, बैनर आदि से पूरी तरह मुक्त रखा जाए लेकिन निगम अधिकारी शासन के आदेश को तवज्जो नहीं देते। जूनीइंदौर थाने के पास, आनंद हास्पिटल के सामने, खातीवाला टैंक के जेंट्रीगेट पर पोस्टर तथा पाटनीपुरा स्थित चर्च के सामने बैनर लगा है, जो निगम अधिकारियों को दिखाई नहीं देता।
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