इंदौर। चांटाकांड की गांंठे अभी भी नहीं खुली है...जो नाराज है वे अपनी नाराजगी बताना बदस्तूर जारी रखे हुए हैं। नगर निगम परिषद की बैठक मंगलवार को गांधी हॉल में रखी गई थी और क्षेत्र क्रमांक दो के पार्षद भी परिषद की बैठक में आए, यह जरुर है कि वे मजबूरी में आए क्योंकि नियमानुसार वे आते नहीं तो पार्षदी खतरे में पड़ जाती और ऊपर से कोर्ट केस अलग चल रहा है जिसमें यही आपत्ति भी ली गई है।
चांटा कांड के बाद से क्षेत्र क्रमांक दो और चार के बीच खाई बढ़ती गई और हालात यह हो गए थे कि अबोला की स्थिति आ गई थी। हाल ही में दशहरा मैदान पर भाजपा शहर अध्यक्ष कैलाश शर्मा और उद्योगपति हेमंत नीमा के बीच जो कुछ हुआ है उसके बाद से संगठन की नजर इस बात पर भी है कि किस प्रकार से क्षेत्र क्रमांक 4 और 2 के बीच सुलह हो। जबकि दशहरा मैदान पर हुए आयोजन को पार्टी कार्यकर्ता अलग ही नजर से देख रहे हैं जिसमें क्षेत्र क्रमांक 2 भी शामिल था पर क्षेत्र क्रमांक 4 बिल्कुल भी शामिल नहीं था।
पार्षदों ने आपत्ति दर्ज करवाई है
क्षेत्र क्रमांक 2 के पार्षदों में जिसमें स्वास्थ्य विभाग प्रभारी राजेंद्र राठौर ने यह तक कह दिया है कि उनसे किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली जाती है। उन्हें जानकारी ही नहीं होती कि विभाग में क्या चल रहा है जबकि नियमानुसार प्रभारी को सभी प्रकार की जानकारी देना अनिवार्य है।
तल्खी झगड़े में न बदले
इतने दिनों से क्षेत्र क्रमांक 2 और 4 के बीच तल्खी जारी है अब संगठन को यह देखना होगा कि इनकी तल्खी चुनाव आने तक झगड़े में न बदल जाए क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो इसमें बड़े बड़े दिग्गजों को मैदान संभालना पड़ सकता है। इनमें स्पीकर सांसद सुमित्रा महाजन, भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल होंगे। तब संतुलन बनाए रखना संगठन को मुश्किल हो जाएगा और फिर बात दिल्ली तक जाएगी। जिस प्रकार से पार्टी में अनुशासनहीनता की घटनाएं बढ़ती जा रही है उससे यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि संगठन को अपनी ताकत बताना होगी और अनुशासन बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे फिर चाहे कार्यकर्ता हो, पार्षद हो, विधायक हो या कोई और वरना शहर भाजपा में गुटबाजी का नया दौर चल पड़ेगा जो लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को तकलीफ ही देगा।
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