इंदौर। एक तरफ प्रदेश शासन अधिकारियों पर लगातार दबाव डाल रहा है कि डायवर्शन टैक्स और अन्य बकाया राशि की वसूली सख्ती से की जाए अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी दूसरी ओर अधिकारियों व कर्मचारियों की समस्याओं पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। संभागायुक्त कार्यालय में शनिवार को हुई बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों ने खुल कर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संभाग के जिलों में राजस्व विभाग में 50 प्रतिशत पद खाली हैं। इससे कार्य में विलंब हो रहा है। इसी प्रकार अवैध खनन रोकने के लिए कड़े कानून की जरूरत है। इसके अभाव में अवैध खनन पूरी तरह रुक नहीं पा रहा है।
बैठक में मप्र भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष आई.एस. दाणी, संभागायुक्त संजय दुबे तथा संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर व अन्य अधिकारी मौजूद थे। जब जिलों के अधिकारियों को विभिन्न कार्यों को लेकर निर्देश दिए गए तो वे भी चुप नहीं रहे। उन्होंने कहा कि जिलों में राजस्व विभाग में 50 प्रतिशत पद खाली हैं, जिससे काम करने में विलंब हो रहा हैं। गांव में आबादी की भूमि पर रह रहे निवासियों के पास कोई कागजात नहीं हैं। ऐसे में उन्हें उस भूमि का मालिक कैसे माना जाए। गांवों और शहरों में आबादी व गैर आबादी भूमि का चिह्नांकन जरूरी हो गया है। शासन द्वारा बार-बार निर्देश दिए जा रहे हैं कि रेत का अवैध खनन रोका जाए लेकिन पूरी तरह से इसे रोकना मुश्किल हो रहा है। इसके लिए कड़े कानून की जरूरत है।
अधिकारियों से मांगे सुझाव
श्री दाणी ने कहा कि मप्र भू-अभिलेख संहिता में संशोधन किया जाएगा। वरिष्ठ अधिकारियों से सुझाव मांगे गए हैं। इन सुझावों के आधार पर शासन द्वारा कानून बनाकर इसे भू-अभिलेख संहिता में शामिल किया जाएगा। श्री दाणी ने कहा कि खेती की भूमि, आवासीय भूमि, वन भूमि, नदी-नाले सब का चिह्नांकन जरूरी है। यह काम जीपीएस (ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम) से बहुत आसान हो गया है। जीपीएस सिस्टम से नपती ज्यादा सही हो रही हैं। यह सिस्टम पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है।
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