इंदौर। जिले के आठ जंगलों को प्रशासन द्वारा शीघ्र ही रिजर्व वन क्षेत्र घोषित किया जाएगा। फिलहाल इन क्षेत्रों में जंगल होने के बावजूद लोगों द्वारा जमीनों पर कब्जा करने और बस्तियां बसाने का कार्य किया जा रहा है। रिजर्व वन क्षेत्र घोषित होने के बाद वन विभाग की अनुमति के बिना इन जंगलों में प्रवेश भी वर्जित रहेगा। इन क्षेत्रों में हुए निर्माण कार्यों को भी हटाया जाएगा।
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा इन जंगलों को रिजर्व वन क्षेत्र घोषित करने हेतु कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। वर्तमान में जिले में आठ जंगल ऐसे हैं जिनकी देखभाल तो वन विभाग करता है लेकिन उनकी जमीनों पर वन विभाग का अधिकार नहीं है। इस कारण इन क्षेत्रों में किसी भी निर्माण कार्य अथवा अस्थायी निर्माण आदि के लिए वन विभाग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। यही कारण है कि लोगों ने इन जंगलों की जमीन पर कब्जे करने से लेकर बस्तियां तक बसा दी हैं। आठ वन क्षेत्रों में से तीन देपालपुर और तीन महू क्षेत्र में हैं। इसके अलावा देवगुराड़िया और रेणुका टेकरी का जंगल भी रिजर्व वन क्षेत्र घोषित किया जाएगा।
जला प्रशासन ने सबसे पहले देवगुराड़िया के आसपास स्थित 116.5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगल को रिजर्व वन क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई प्रारंभ की है। इसकी सार्वजनिक घोेषणा करते हुए प्रशासन ने क्षेत्र के लोगों से दावे-आपत्ति मांगे थे लेकिन किसी ने भी आवेदन पेश नहीं किया। इसके बाद प्रशासन ने अगली कार्रवाई के लिए फाइल संभागायुक्त को भेज दी है। वहां से फाइल भोपाल भेजी जाएगी और फिर राजपत्र में प्रकाशन कर इस क्षेत्र को रिजर्व वन क्षेत्र घोषित कर दिया जाएगा। अधिकारियों ने अनुसार अन्य जंगलों के लिए भी कार्रवाई शुरू की जा रही है और इसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। रिजर्व वन क्षेत्र घोषित होने के बाद जमीन के पूरे अधिकार वन विभाग को मिल जाएंगे। इसके बाद रिजर्व वन क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाएगा। पूर्व में जो निर्माण कार्य अथवा कब्जे हो चुके हैं उन्हें हटाने के लिए वन विभाग जिला प्रशासन की मदद से कार्रवाई करेगा। रिजर्व वन क्षेत्र में जमीनों की खरीदी-बिक्री भी नहीं हो सकेगी।
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