इंदौर। आम लोगों द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतें इसीलिए की जाती है ताकि समस्याओं का निराकरण जल्द हो जाए लेकिन अधिकारी अब सीएम हेल्पलाइन के निर्देशों को भी हवा में उड़ाने लगे हैं। बिना परमिट के इंदौर-जबलपुर के बीच चल रही बस की शिकायत हेल्पलाइन पर करने के बाद भी परिवहन विभाग ने दस दिनों बाद कार्रवाई की।
मामला हंस ट्रेवल्स की बस का है जिसकी शिकायत जय अम्बे ट्रेवल्स के संचालक अरविंद कुशवाह द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि हंस ट्रेवल्स द्वारा बिना परमिट के इंदौर से जबलपुर के बीच हर दिन बस संचालित की जा रही है। जय अम्बे ट्रेवल्स की बस का परमिट है। बिना परमिट की बस परमिट वाली बस के आगे-पीछे चलाते हुए उसकी सवारियों को बिना परमिट की बसों में बैठाया जाता है। इस कारण परमिट वाली बस के संचालक को नुकसान हो रहा है। शिकायत के बाद दस दिन बाद परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को जबलपुर से आ रही बस को रोक कर कागजातों की जांच की तो शिकायत सही निकली। अब अधिकारी कह रहे हैं कि हंस ट्रेवल्स की बस पर 85 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा। फिलहाल बस को जब्त कर लिया गया है।
सवाल यह उठता है कि सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत किए जाने के बाद भी दस दिनों तक अधिकारी चुप क्यों बैठे रहे। शिकायत के बाद भी दस दिनों तक बिना परमिट के बस इंदौर-जबलपुर के बीच चलती रही। जानकारों का कहना है कि यह तो केवल एक मामला है अधिकारियों की मेहरबानी से ऐसे कई मामले केवल इंदौर में ही नहीं बल्ल्कि पूरे प्रदेश में चल रहे हैं। बिना परमिट की बस इंदौर से जाती थी और लौटती थी जबलपुर से लेकिन वहां के अधिकारियोें ने भी कभी परमिट चेक नहीं किया। यह परिवहन विभाग है जहां आम लोगों का कोई भी काम बिना अतिरिक्त राशि दिए नहीं होता है, जहां के कर्मचारी और अधिकारी ऐेवजी कर्मचारी रख कर उनसे शासकीय कार्य कराते हैं और उन्हें वेतन भी अपनी जेब से देते हैं, जहां की फाइलें एजेंटों के पास से कई बार जब्त हो चुकी है,जहां वाट्स एप पर फोटो देख कर वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है...। इतना सब होने के बाद भी न तो कभी भोपाल से कोई सख्त कार्रवाई होती है और न ही कभी लोकायुक्त पुलिस या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की टीम जांच करने पहुंचती है।
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