इंदौर। स्वच्छता में नंबर वन बने और लगातार दूसरे वर्ष पुरस्कार हासिल करने के लिए प्रयासरत शहर की सबसे बड़ी समस्या की ओर इंदौर से लेकर भोपाल तक कोई भी बात करने को तैयार नहीं है। मामला अवैध कॉलोनियों को वैध करने का है। प्रदेश में अवैध कॉलोनियों की सबसे ज्यादा संख्या इंदौर में है। पिछले दो विधानसभा चुनावों के ठीक पहले इन्हें वैध करने के लिए एक नहीं बल्कि कई बार घोषणा की गई थी। इस वर्ष के अंत में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन आश्चर्य यह है कि अब तो इस मुद्दे पर कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है।
अवैध कॉलोनियों की संख्या 450 से अधिक हो चुकी है। 29 गांवों को शहर सीमा में शामिल करने के बाद यह संख्या और बढ़ी है। इसके अलावा अवैध कॉलोनियों की बसाहट पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। शहर के सीमावर्ती क्षेत्रों में चारों ओर कृषि भूमि पर अवैध बसाहटों का दौर अब भी जारी है। इन कॉलोनियों को बसाने वाले तो लाखों रुपए कमा कर चले जाते हैं और रहवासी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते रहते हैं। अंत में इसका भार शासन पर ही आता है। शासन को अपने बजट से इन बस्तियों में सड़क, पानी और बिजली जैसी सुविधाएं देनी पड़ती हैं। इसके बावजूद इन्हें वैध नहीं किया जा रहा है।
करीब 20 वर्षों से भी अधिक समय बीत चुका है इन रहवासियों को आश्वासन सुनते-सुनते लेकिन उनका सपना साकार कब होगा,पता नहीं। कांग्रेस के शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने इन्हें वैध करने की घोषणा की थी। कुछ कॉलोनियों के संयुक्त बैंक खाते प्रशासन के साथ खुलवाए गए थे। उनमें विकास शुल्क की राशि जमा भी कराई गई थी लेकिन इसके बाद बात आगे नहीं बढ़ी। कांग्रेस के सत्ता से जाने तक प्रक्रिया इससे आगे ही नहीं बढ़ी। इसके बाद भाजपा सरकार आने पर शुरूआत के दौर में कॉलोनियों को वैध करने की कोई पहल नहीं की गई लेकिन दो विधानसभा चनाव से लोग उत्साहित थे क्योंकि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से एक नहीं कई बार घोषणा की थी कि कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। जल्द ही इसके लिए कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी। एक विधानसभा चुनाव होने के बाद पांच साल तक लोग इंतजार करते रहे लेकिन कुछ नहीं हुआ। दूसरा चुनाव आया तो करीब एक वर्ष पूर्व से ही फिर हलचल प्रारंभ हो गई। लोगों को लगा कि अब तो प्रक्रिया शुरू हो ही जाएगी लेकिन मामूली प्रयास भी कहीं नजर नहीं आए। इस बार भी इंतजार में पांच साल बीत गए। अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव का साल शुरू हो चुका है। इस साल के अंत में चुनाव होना है। लोगों को आस है कि इस बार तो कुछ ठोस निर्णय हो ही जाएगा लेकिन अब तक इंदौर से लेकर भोपाल तक इस मुद्दे पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। इन बस्तियों के लोगों का कहना है कि यदि कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया तो उसे फायदा होगा। यदि भाजपा ने ध्यान नहीं दिया तो इन कॉलोनियों के रहवासियों का विरोध तो सामने आएगा ही। लोगों का कहना है कि इस बार केवल घोषणा नहीं बल्कि प्रक्रिया की शुरूआत ही होनी चाहिए।
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