मुंबई। मोदी सरकार अब दवा कंपनियों को निशाना बनाने वाली है। इसके लिए नए नियमों का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों और दवा विक्रेताओं को 1 हजार रुपए से ज्यादा का गिफ्ट नहीं दिया जा सकेगा। मरीजों को दवा लिखने के एवज में डॉक्टरों को विदेश या देश में यात्राएं भी नहीं कराई जा सकेंगी। भारत में दवाइयों का बाजार काफी बड़ा है। दवा निर्माता कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों की ज्यादा से ज्यादा बिक्री करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। ऐसे कई मामले सामने भी आ चुके हैं। इन मामलों की शिकायतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी पहुंची हैं। उनके निर्देश पर अब दवा कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए कानून में फेरबदल किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार नए कानून का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। कानून मंत्रालय द्वारा उसकी समीक्षा की जा रही है। विश्व के कई देशों में दवा कंपनियों को सख्त नियम-कानून की सीमा में बांधा गया है ताकि अनुचित तरीकों को रोका जा सके। भारत में भी कई तरह के कानून हैं लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं होता है। इसी का फायदा दवा कंपनियां उठाती आई हैंं। कभी ड्रग ट्रायल के नाम पर धांधली सामने आती है तो कभी डॉक्टरों के माध्यम से मरीजों तक दवाईयां बिकवाने के लिए कंपनियों द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाने की बातें सामने आती हैं। डॉक्टरों और दवा विक्रेताओं को कंपनियों द्वारा महंगे गिफ्ट देने और विदेश यात्राएं कराने के मामले भी उजागर हो चुके हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार नए मार्केटिंग नियम लागू करती है और उसका सख्ती से पालन कराया जाता है तो निश्चित रूप से इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी। फार्मास्युटिकल विभाग द्वारा इस संबंध में तैयार किए गए प्रारूप की समीक्षा कानून मंत्रालय द्वारा की जा रही है। प्रस्तावित मसौदे में मार्केटिंग पर खर्च की सीमा तय करने के साथ ही दवाओं को लेकर कंपनियों द्वारा किए जाने वाले झूठे दावों पर भी नजर रखी जाएगी। डॉक्टरों को दिए जाने वाले ट्रायल सैंपल्स की संख्या भी निर्धारित की जाएगी।
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