मुंबई। मालेगांव बम धमाके के आरोपी पूर्व मिलिटरी इंटेलिजेंस आॅफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित 9 साल बाद बुधवार को जेल से बाहर आ गए। सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के बाद एनआईए कोर्ट ने मंगलवार को उनके रिलीज आॅर्डर जारी किए थे। मालेगांव में 2008 में हुए धमाके में एनआईने पुरोहित को आरोपी बनाया है। पुरोहित के जेल से निकलने से पहले नवी मुंबई स्थित तालोजा जेल के बाहर सेना की गाड़ियां पहुंची गई थीं। रिहा होने के बाद पुरोहित ने इस यूनिट के साथ मुंबई के कोलाबा स्थित अपनी यूनिट जाकर कमांडिंग आॅफिसर को रिपोर्ट की। पुरोहित को मिली जमानत के साथ कोर्ट ने कुछ शर्तें भी जोड़ी हैं। वे कोर्ट के आदेश के बिना देश नहीं छोड़ सकेंगे। उनका पासपोर्ट कोर्ट के पास जमा रहेगा। अगर कोर्ट से निर्देश मिले तो पुरोहित को तुरंत पेश होना पड़ेगा। इसके अलावा जांच के संदर्भ में एनआईए की मदद भी करनी होगी। कोर्ट ने पुरोहित से यह भी कहा है कि वे इस मामले से जुड़े किसी भी गवाह से मुलाकात नहीं करें। महाराष्ट्र के संवेदनशील शहर मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए बम विस्फोट में 7 लोगों की मौत हो गई थी। वहां की हमीदिया मस्जिद के नजदीक एक मोटरसाइकल पर रखे बम में धमाका हुआ था। केस की शुरूआती जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की। बाद में एनआईए ने जांच का जिम्मा संभाला। ब्लास्ट के बाद से ही कर्नल पुरोहित जेल में थे। पुरोहित पर बम सप्लाई का आरोप था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पुरोहित की जमानत मंजूर की है। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुरोहित की जमानत याचिका ठुकरा दी थी। इस मामले में दूसरी आरोपी साध्वी प्रज्ञा को पूर्व में जमानत मिल चुकी है। पुरोहित को मिली जमानत का एक आधार यह भी बना। एनआईए ने कोर्ट के समक्ष कर्नल पुरोहित की जमानत का विरोध किया था। कर्नल ने कहा- मुझे शिकार बनाया गयरापुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्हें राजनीतिक क्रॉसफायर का शिकार बनाया गया है। उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। पुरोहित का पक्ष रखते हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि न्याय के हित में पुरोहित को जमानत दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि जब इस केस में एक अन्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत मिल सकती है तो पुरोहित को क्यों नहीं? साल्वे ने एनआईए पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप हट जाते हैं तो अधिकतम सजा 7 साल हो सकती है जबकि वे 9 साल से जेल में हैं।
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