खेलने की आजादी और खेलने का अधिकार


मुंबई। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर राज्यसभा में गुरुवार को ‘राइट टू प्ले’ पर संबोधित नहीं कर पाए थे क्योंकि विपक्ष के हंगामे के चलते राज्यसभा स्थगित हो गई थी। वे संसद में बोलने के लिए खड़े हुए थे लेकिन हंगामे के बीच वे बोल नहीं पाए। इसके बाद उन्होंने फेसबुक के माध्यम से अपनी बात लोगों के सामने रखी। तेंडुलकर ने फेसबुक पर वीडियो पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी बातें थीं जो मैं गुरुवार को आप तक पहुंचाना चाहता था। अब वीडियो के माध्यम से अपनी बात कह रहा हूं। मुझे कई बार हैरानी होती है कि मैं यहां तक कैसे पहुंचा। फिर मुझे एहसास होता है कि क्रिकेट में उठाए छोटे कदमों ने मुझे कभी न भूलने वाली यादें दीं। उन्होंने अपने पिता को याद किया और साथ ही खेल को लेकर काफी कुछ कहा। उन्होंने कहा कि मैं खेल बहुत पसंद करता हूं। क्रिकेट मेरी जिंदगी है। मेरे पिता सचिन रमेश तेंडुलकर कवि और लेखक थे। मैं जिंदगी में जो करना चाहता था उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। उनकी ओर से मुझे सबसे खास तोहफा था खेलने की आजादी और खेलने का अधिकार। मैं इस बात के लिए हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूंगा। सचिन ने कहा कि गरीबी, आर्थिक वृद्धि, फूड सिक्योरिटी समेत देश में कई अहम मुद्दे हैं, जिनपर ध्यान देने की जरूरत है। एक स्पोर्ट्स मैन होने के नाते मैं खेल, इंडिया की फिटनेस और लोगों की सेहत पर बात करना चाहता हूं। मेरा विजन हेल्दी और फिट इंडिया है।
उन्होंने कहा कि साल 2020 में भारत दुनिया के सबसे जवान देशों में से एक होगा। ऐसे में धारणा यह है कि अगर युवा हैं तो फिट हैं। लेकिन वास्तव में यह तथ्य गलत है। सिर्फ डायबिटीज की बात की जाए तो भारत को इस बीमारी की राजधानी मान सकते हैं। भारत में 75 मिलियन लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। अगर मोटापे से होने वाली बीमारियों की बात करें तो हम दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं। इन बीमारियों का आर्थिक बोझ भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ऐसे में देश का आगे बढ़ना संभव ही नहीं है।