पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं, पेड़ों के लिए कहां से लाएं?

इंदौर। दिल्ली में प्रदूषण से हालात खराब होने के बाद अब मप्र में अधिकारियों को प्रदूषण नियंत्रण की बात ध्यान में आई और उन्होंने आदेश भी जारी कर दिया। हर बार यही होता भी है भोपाल से आदेश जारी होने के बाद कोई यह सुध नहीं लेता कि आदेश का पालन किस तरह से हो रहा है। एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए आदेश दिया था कि हर वाहन पर प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट लगा हो लेकिन आज तक आदेश का पालन नहीं हुआ। अब भोपाल से आदेश जारी हुआ है कि वाहनों पर लगे सर्टिफिकेट के अनुसार वाहनों के प्रदूषण की जांच आरटीओ कराएं। सवाल यह उठता है कि जब सर्टिफिकेट ही नहीं लगे तो आरटीओ किस बात की जांच करेंगे?
बंद कमरों में बैठ कर आदेश जारी करने की परम्परा काफी पुरानी है। दिल्ली में प्रदूषण के कारण लोगों की हालत खराब हो चुकी है। हाल ही में भारत-श्रीलंका क्रिकेट मैच के दौरान प्रदूषण से परेशान श्रीलंका के खिलाड़ियों ने नाक पर मास्क लगा कर मैच खेला और मैच की तस्वीरों से पूरे विश्व में यह बात फैल गई कि भारत में प्रदूषण की क्या हालत है। मप्र सरकार के अधिकारी भी जागे और उन्होंने भी राज्य में प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए आदेश जारी कर दिए। कलेक्टरों से कहा गया है कि इस आदेश का पालन कराएं।  भोपाल से जारी आदेश में कहा गया है कि आरटीओ वाहनों के प्रदूषण की जांच समय-समय पर करें और यह भी देखें की वाहनों पर प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट लगे हैं या नहीं। 15 साल से पुराने वाहनों और रिक्शा को प्रतिबंधित करें। कचरे को खुले में न जलाया जाए। निर्माण कार्यों के कारण उड़ने वाली धूल पर पानी छिड़का जाए। सड़कों के किनारे स्थित पेड़-पौधों और फुटपाथों पर पानी छिड़का जाए। डीजल जनरेटर सेट का अनावश्यक उपयोग रोकें। फसलों की कटाई के बाद खेत में डंठल, भूसा आदि को नहीं जलाने दिया जाए। वाहनों के रखरखाव और इंजन की ट्यूनिंग कराने के लिए प्रचार माध्यमों के जरिए लोगों में जागरुकता लाएं। 
अब यह भी देख लें कि आदेश का पालन कैसे होगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि परिवहन विभाग के अधिकारियों से पर्याप्त सहयोग नहीं मिलता। पीयूसी जांच केंद्रों की संख्या ही नहीं बढ़ाई जा रही है तो जांच कैसे होगी? इंदौर शहर में पूरे वर्ष पानी की कमी बनी रहती है और इस स्थिति में सड़कों के किनारे स्थित पेड़-पौधों और फुटपाथों पर छिड़काव के लिए पानी कहां से लाएंगे। पंद्रह साल पुराने रिक्शा का संचालन कैसे रुकेगा यह कोई भी बताने की स्थिति में नहीं है। शहर में ऐसे रिक्शा भी चल रहे हैं जो काफी पुराने हैं। प्रशासन और आरटीओ आज तक रिक्शा चालकों से मीटर के आधार पर किराया लेने के नियम का पालन नहीं करा पाए तो कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वे पुराने रिक्शा का संचालन रोक सकेंगे। आदेश में कहा गया है कि खेतों में डंठल और भूसा न जलाने दिया जाए तो सवाल यह उठता है कि शहर की व्यवस्था संभल नहीं रही है गांवों में हर खेत पर कौन नजर रखेगा और फिर कार्रवाई करेगा।