शरीर के संकेतों को समझ कर बीमारियों को पहचानें और समय पर कराएं उपचार

शरीर के सभी अंगों की अपनी अलग अहमियत होती है। हार्ट, लिवर, किडनी और फेफड़े शरीर के मुख्य अंग हैं। इनके सुचारु रूप से कार्य करने और स्वस्थ रहने से ही शरीर जानलेवा बीमारियों से बचा रहता है। हार्ट को आॅक्सीजन और पोषक तत्व कोरोनरी धमनियों में बहने वाले रक्त से मिलते है। हृदय प्रति मिनट 60 से 90 बार और दिन में 1 लाख बार धड़क कर 2 हजार गैलन रक्त को पम्प कर पूरे शरीर में पहुंचाता है। फेफड़ों को शरीर के सबसे ज्यादा काम करने वाले अंगों में से एक माना जाता है। लिवर शरीर का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। यह प्रोटीन उत्पादन, ब्लड क्लॉटिंग से लेकर कोलेस्ट्रॉल, ग्लूकोज और आयरन मेटाबॉलिज्म तक के जरूरी काम करता है। किडनी रक्त से यूरिया, एसिड व अन्य हानिकारक तत्वों को निकाल रक्त को शुद्ध करता है।
हार्ट
ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट, सीने में मामूली या तेज दर्द, सांस रुक-रुककर आना या सांस लेने में तकलीफ होना, सीने, बांहों, कोहनी और छाती की हड्डियों में दर्द, अधिक समय तक अपच या सीने में जलन, उल्टी, मितली, रोजाना घबराहट होना, धड़कनें अनियमित होना, थोड़ा चलने पर भी धड़कनें तेज होना, बेहोशी महसूस होना या चक्कर आना, काम करते वक्त या ठंडी हवा में छाती पर भारीपन महसूस होना, हल्का काम करने पर भी जल्दी-जल्दी सांस लेना, फेफड़ों में बार-बार संक्रमण होना आदि बताते हैं कि आपका दिल तकलीफ में है।
हार्ट से संबंधित बीमारियां
हार्टअटैक : कोरोनरी आर्टरी/ एथेरोस्क्लेरोटि/ हार्ट डिजीज- इस बीमारी में हृदय की रक्तवाहिनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाने से हृदय में रक्त की मात्रा बाधित हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक होता है। वॉल्व संबंधी परेशानियां - हृदय के वॉल्व में दिक्कत होने से वॉल्व से गुजरने वाले रक्त की मात्रा कम हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक हो सकता है।
रक्त आपूर्ति में कमी होने, धूम्रपान करने, शारीरिक गतिविधियों में कमी से ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट से हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
लिवर
लिवर में तरह-तरह की समस्याएं होने के कारण लक्षणों की पहचान मुश्किल होती है। उल्टी आना, चक्कर, पेट की मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना, कमजोरी और वजन कम होना लिवर में होने वाली समस्याओं के प्रमुख लक्षण होते हैं।
बीमारियां - आॅटोइम्यून डिसॉर्डर। आॅटोइम्यून हेपेटाइटिस- कभी-कभी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इतनी घट जाती है कि लिवर के खराब होने तक की आशंका रहती है। ड्रग्स और टॉक्सिंस हेपेटाइटिस, नेक्रोसिस, सिरोसिस। ड्रग्स या टॉक्सिंस के अत्यधिक सेवन से लिवर गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ जाता है। लिवर कैंसर, हेपाटोसेल्यूलर कार्सिनोमा और हेपाटोब्लास्टोमा कैंसर। लिवर एब्डॉमेन के ऊपरी दाहिने हिस्से की तरफ स्थित होता हैै। लिवर के रोग अक्सर शराब के सेवन या ड्रग्स के कारण भी होते हैं।
किडनी
चेहरे, पैरों और आंखों के आसपास सूजन, ठंड के साथ बुखार रहना, बार-बार पेशाब आना, कमर में दर्द रहना, पेशाब करने में दर्द होना, शरीर में सूजन, रक्त में यूरिया की मात्रा बढ़ना, पेशाब का रंग गहरा होना, किडनी में सूजन आना गंभीर समस्या का संकेत होता है।
बीमारियां - नेफ्रॉइटिस: इसमें रोगी की किडनी में सूजन आ जाती है, जिससे खून में यूरिया बढ़ जाता है। नेफ्रोसिस: इस रोग में किडनी में कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है, जिससे शरीर में सूजन और यूरीन में एलब्यूमिन बढ़ जाता है।
किडनी खराब हो जाना: किडनी की कार्यक्षमता नष्ट हो जाने से हाई ब्लडप्रेशर, यूरिया, सिरम, क्रिटिनाइन, सोडियम और पोटैशियम बढ़ जाता है।
क्यों शुरू होती हैं परेशानियां
मिर्च-मसाले, नमक, औषधियों के अधिक सेवन, कब्ज होने, त्वचा के असामान्य ढंग से कार्य करने, विटामिन तथा लवणों की कमी आदि से किडनी खराब हो सकती हैं।
फेफड़े(लंग्स)
सांस लेने में परेशानी होना, हवा की कमी महसूस होना, व्यायाम करने की क्षमता का घट जाना, जल्दी थकान महसूस होना, खांसी रहना, खून का आना, सांस लेते व छोड़ते समय दर्द होना। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आते ही व्यक्ति को डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। बीमारियां - अस्थमा, क्रॉनिक आॅब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज। ब्रोंकाइटिस: आनुवंशिक कारणों, प्रदूषण और विभिन्न संक्रमणों से होती हैं। न्यूमोनिया, ट्यूबरक्युलोसिस, एम्फीसेमा। फेफड़ों का कैंसर: यह समस्या कई तरह के प्रदूषण, विभिन्न संक्रमण और सांस संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं। पल्मोनरी एम्बोलिज्म: इसमें फेफड़ों में क्लॉट बन जाता है, जिसके कारण सांस लेने में समस्या आती है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन: हाई ब्लडप्रेशर से यह समस्या हो सकती है। इसकी वजह से सीने में दर्द रहने लगता है। न्यूमोथोरैक्स और न्यूरोमस्कुलर डिसॉर्डर: प्ल्यूरा, फेफड़ों व सीने के आसपास की महीन रेखा होती है। इसके प्रभावित होने से ये बीमारियां होती हैं।
क्यों शुरू होती हैं परेशानियां
स्पांज जैसा तिकोने आकार का यह अंग सीने में स्थित होता है। जीवनशैली की विभिन्न समस्याओं, संक्रमण व दूसरे कई कारणों की वजह से फेफड़ों में कई तरह की बीमारियां पैदा होती हैं।