भागदौड़ भरी जिंदगी ने लोगों को तनाव से भर दिया है। इस स्थिति में मानसिक शांति पाने का सबसे अच्छा तरीका है मेडिटेशन (ध्यान) किया जाए। मेडिटेशन के अलग-अलग तरीकों का सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। साइंस एडवांस की रिपोर्ट के मुताबिक इंसान को अपने स्वभाव के हिसाब से ही मेडिटेशन करना चाहिए। रिसर्च के अनुसार व्यक्ति का जैसा स्वभाव होता है अगर उस पर गौर करते हुए मेडिटेशन कराया जाए तो उसकी सोच में परिवर्तन लाया जा सकता है।
कुछ लोग किसी एक जगह पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं अर्थात ध्यान बहुत जल्दी भटक जाता है और इसी कारण उन्हें किसी भी काम में सफलता नहीं मिलती है। ऐसे लोग अगर अपनी सांसों पर ध्यान दें तो उन्हें ध्यान केंद्रित करने में काफी मदद मिलेगी। ऐसे लोगों को अपने शरीर के किसी भी भाग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ऐसे लोगों को देखने, चलने, सुनने और स्वाद संबंधित ध्यान भी केंद्रित करना चाहिए। कुछ लोगों के रिश्ते अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों, यहां तक की अपने पार्टनर के साथ भी ठीक नहीं रहते। ऐसे लोगों को भी मेडिटेशन जरूर करना चाहिए। मेडिटेशन के दौरान अपने अंदर प्यार और दया का भाव लाना चाहिए। किसी जानवर के छोटे बच्चे पर ध्यान केंद्रित कर आप प्यार और दया का भाव ला सकते हैं। उन जगहों के बारे में सोचें जहां आप आराम और सुरक्षित महसूस करते हैं। इससे आपके अंदर खुशी का भाव आता है। अगर आप खुश होंगे तो ही आप दूसरों को खुश रख सकेंगे। ऐसे में आप का खुश होना बेहद जरूरी है।
बहुत से लोगों में धैर्य की कमी होती है। ऐसे लोगों के बनते-बनते काम भी कई बार बिगड़ जाते हैं। धैर्य की कमी के कारण गुस्सा आना, किसी के साथ लड़ जाना या फिर किसी विवाद में उलझना आम बात है। ऐसे लोगों को भी मेडिटेशन का सहारा लेना चाहिए। मेडिटेशन के दौरान अपनी जिंदगी के बारे में दूसरों के नजरिए से देखने का प्रयास करना चाहिए। ऐसे लोगों को किसी भी विचार को दिमाग में रोकना नहीं चाहिए। सोच और विचार को दिगाम के रास्ते आते-जाते देना चाहिए। मेडिटेशन के दौरान सोचना चाहिए कि अगर कोई घटना हुई तो उन्होंने कैसे उस घटना पर अपना नजरिया रखा और कोई और होता तो वो कैसे उसी घटना को देखता। ऐसा करने से दिमाग में बदलाव आता है और दूसरे को समझने में मदद मिलती है।
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